बिहार में दो शिक्षक संघ "बिहार माध्यमिक क्मप्युटर शिक्षक संघ" SECTA BIHAR एवं "बिहार माध्यमिक/उच्य माध्यमिक क्मप्युटर शिक्षक संघ" का गठन हो चुका है जिसका सदस्यता अभियान जारी है।
आप सभी शिक्षकों से सादर अनुरोध है कि सभी इस संघ या इस साइट के मेम्बर अवश्य बन जायें सभी तरह के अपडेट प्राप्त करते रहें
वह दिन अब दुर नही जब सरकार को हमारे मांगो को मानना परे और पहले से हटाये गए को ज्वाइन करा दें एवं सभी को नियोजित के रूप में समायोजन कर ले।
इस आन्दोलन को यथा संभव तेज करने की जरूरत है क्योंकि टीइटी, एसटीइटी पास को यदि ज्वाइन करा दिए तो हमें ज्यादा लम्बा आन्दोलन करना पर सकता है!!
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हाल बिहार में चल रहे ict@स्कूल प्रोजेक्ट का
ये परियोजना बिहार में सरकारी हाई स्कूलों के छात्रो को कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए शुरु की गयी थी, लकिन आज हाल यह है की यह योजना सिर्फ कागजो में ही चल रही है इसका प्रमुख कारण यह है की जो कंप्यूटर शिक्षक आज विद्यालयों में बहाल है उनका वेतन नरेगा मजदूरो के वेतन से भी कम है इस स्थिति में भला कोई शिक्षक कौन सी शिक्षा दे सकता है जब उसका पेट ही सही से नहीं भरता हो। BCA/BSc(IT)/MSc(IT)/MCA/B.Tech(IT/CSE) की डिग्री प्राप्त इन बेरोजगार युवाओ के साथ सरकार का मजाक देखिये की इन्हें एक शिक्षक के रूप में सिर्फ 3000 से 5000 रुपये दिए जाते है जो भी समय पे नहीं मिलता है। तीन से छह महीने काम करने के बाद एक महीने का वेतन दिया जाता है। सरकार ने इन्हें एक निजी कंपनी के माध्यम से बहाल किया है जो इन शिक्षको का शोसण करती है जिससे इन शिक्षको का भविष्य ही अंधकार में है और आप ही बताये की जिसका भविष्य खुद ही अंधकार में हो वो क्या किसी के भविष्य को सुरक्षित कर सकता है शिक्षको के साथ सरकार का अन्याय सबके सामने है और इसी पे सरकार गुणवता पूर्ण शिक्षा की बात करती है। विद्यालयों में कंप्यूटर लगे है लकिन डीजल का पैसा समय पे नहीं मिलता की छात्र कंप्यूटर चला सके। लाखो के कंप्यूटर विद्यालयों में लगे हुआ है लकिन डीजल की राशि के आभाव में जेनरेटर नहीं चलता है जिसके कारण कंप्यूटर ख़राब हो रहे है और बच्चो को कंप्यूटर शिक्षा सही से नहीं मिल पा रही है इस प्रोजेक्ट का सच जानने के लिए आप अपने नजदीकी हाईस्कूल में जहा ict@स्कूल प्रोजेक्ट चल रहा हो वहा जाकर देख सकते है की सरकार बेल्ट्रोन और निजी कंपनिया किस तरह से पैसे का बन्दर बाँट कर कंप्यूटर शिक्षको का शोसण कर रही है और धरातल पर इस प्रोजेक्ट की सचाई क्या है।
ये परियोजना बिहार में सरकारी हाई स्कूलों के छात्रो को कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए शुरु की गयी थी, लकिन आज हाल यह है की यह योजना सिर्फ कागजो में ही चल रही है इसका प्रमुख कारण यह है की जो कंप्यूटर शिक्षक आज विद्यालयों में बहाल है उनका वेतन नरेगा मजदूरो के वेतन से भी कम है इस स्थिति में भला कोई शिक्षक कौन सी शिक्षा दे सकता है जब उसका पेट ही सही से नहीं भरता हो। BCA/BSc(IT)/MSc(IT)/MCA/B.Tech(IT/CSE) की डिग्री प्राप्त इन बेरोजगार युवाओ के साथ सरकार का मजाक देखिये की इन्हें एक शिक्षक के रूप में सिर्फ 3000 से 5000 रुपये दिए जाते है जो भी समय पे नहीं मिलता है। तीन से छह महीने काम करने के बाद एक महीने का वेतन दिया जाता है। सरकार ने इन्हें एक निजी कंपनी के माध्यम से बहाल किया है जो इन शिक्षको का शोसण करती है जिससे इन शिक्षको का भविष्य ही अंधकार में है और आप ही बताये की जिसका भविष्य खुद ही अंधकार में हो वो क्या किसी के भविष्य को सुरक्षित कर सकता है शिक्षको के साथ सरकार का अन्याय सबके सामने है और इसी पे सरकार गुणवता पूर्ण शिक्षा की बात करती है। विद्यालयों में कंप्यूटर लगे है लकिन डीजल का पैसा समय पे नहीं मिलता की छात्र कंप्यूटर चला सके। लाखो के कंप्यूटर विद्यालयों में लगे हुआ है लकिन डीजल की राशि के आभाव में जेनरेटर नहीं चलता है जिसके कारण कंप्यूटर ख़राब हो रहे है और बच्चो को कंप्यूटर शिक्षा सही से नहीं मिल पा रही है इस प्रोजेक्ट का सच जानने के लिए आप अपने नजदीकी हाईस्कूल में जहा ict@स्कूल प्रोजेक्ट चल रहा हो वहा जाकर देख सकते है की सरकार बेल्ट्रोन और निजी कंपनिया किस तरह से पैसे का बन्दर बाँट कर कंप्यूटर शिक्षको का शोसण कर रही है और धरातल पर इस प्रोजेक्ट की सचाई क्या है।
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